दोस्तों पहले हूँ जानते है की Moral Storyक्या होती है?
Moral Story नैतिक कहानी का पाठ है। आदतों के लिए नैतिक शब्द. लैटिन शब्द से आया है।
कहानी का नैतिक आपको यह सिखाता है कि एक बेहतर इंसान कैसे बनना है। यदि नैतिक का उपयोग विशेषण के रूप में किया जाता है.
तो इसका अर्थ है अच्छा, या नैतिक। यदि आपके पास एक मजबूत नैतिक चरित्र है, तो आप समाज के अच्छे सदस्य हैं।
एक समय की बात है , एक गांव में, एक बार एक परेशान और निराश व्यक्ति अल्बर्ट
जो अपने गुरु के पास पहुंचा और बोला –
“गुरूजी मैं जिंदगी से बहुत परेशान हूँ|
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मेरी जिंदगी में परेशानियों, निराशा, हार, कमिया, क्रोध, सनक्रीणा, लोभ और तनाव के सिवाय कुछ भी नहीं है| गुरूजी कृपया मुझे सही राह दिखाइये|”
गुरु जी ,मुस्कुराते हुए अल्बर्ट की तरफ देखा और अल्बर्ट को अपने पास बुलाया.
और कहा की सामने की टेबल से गिलास में पानी भर के लाओ.
गिलास में मुट्ठी भर नमक डालो और उसे मिला दो| फिर गुरु ने अल्बर्ट को पानी पीने को कहा|
अल्बर्ट ने कहा क्यों ,
गुरु जी ने कहा पिलो काफी देर के बाद अल्बर्ट ने पानी और नमक भरा गिलास पि लिया।
गुरु जी :- इस पानी का स्वाद कैसा है ?अल्बर्ट
अल्बर्ट :- “बहुत ही ख़राब है” उस ब्यक्ति ने कहा|गुरु जी
फिर गुरु जी ने उस अल्बर्ट को बगीचे के पास तालाब के पास ले गए|
गुरु जी ने उस तालाब में भी मुठ्ठी भर नमक डालने को कहा
और अल्बर्ट को उस तालाब से गिलास का पानी पिने को दिया,
और गुरु जि ने फिर अल्बर्ट से कहा – इस तालाब का पानी पीकर बताओ की कैसा है
अल्बर्ट ने तालाब का पानी पिया और बोला – गुरू जी यह तो बहुत ही मीठा है|
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गुरु जी ने कहा – “बेटा जीवन के दुःख भी इस मुठ्ठी भर नमक के समान ही है|
जीवन में दुखों की मात्रा वही रहती है – न ज्यादा न कम|
लेकिन यह हम पर निर्भर करता है कि हम दुखों का कितना स्वाद लेते है|
यह हम पर निर्भर करता है
कि हम अपनी सोच एंव ज्ञान को गिलास की तरह सीमित रखकर रोज खारा पानी पीते है.
फिर तालाब की तरह बनकर मीठा पानी पीते है|”