सर्वांग आसन (Sarvangasana) का नाम (सर्व + अंग + आसन) ही अपने गुणों का वर्णन स्वयं
कर देता है। इस आसन के द्वारा शरीर के सभी अंगों को व्यायाम मिल जाता है। इसी कारण इसे
सर्वांग आसन नाम दिया गया है। अंग्रेजी भाषा में इस आसन को Shoulder Stand Pose के
नाम से जाना जाता है। कई योग ज्ञानी सर्वांग आसन को दूसरे अन्य योग आसनों का “जनेता” कह
कर भी पुकारते हैं। समस्त योग आसनों में सर्वांग आसन को सबसे अधिक लाभदायी बताया गया
है। सर्वांग आसन के नित्य प्रयोग से व्यक्ति शक्तिशाली और स्वस्थ बना रहेता है।
सर्वांगासन कैसे करें(विधि) – How to Do Sarvangasana Yoga(Steps)
- योगाभ्यास के अनुकूल वातावरण चुन कर आसन (चटाई) बिछा लें। जगह ऐसी चुने जहां पर धरा (ज़मीन) समतल हों। वातावरण स्वच्छ हों, आस-पास शांति हों। मुमकिन हों तो यह अभ्यास खुले वातावरण में करें, ताकि सर्वांगासन करते समय शरीर को अधिक मात्र में Oxygen प्राप्त होती रहे।
- सर्वप्रथम चटाई पर बैठ कर, पीठ के बल लैट जाएं। मुख आकाश की ओर होना चाहिए। दोनों हाथ सीधे पैरों की दिशा में ज़मीन पर लगे होने चाहिए (हथेलियाँ ज़मीन की और लगा के रखें)। दोनों पैर सीधे जमीन एक दूसरे से सटे हुए होने चाहिए।
- अब अपनी दोनों आँखें बंद कर लें। और अपने सम्पूर्ण शरीर को मुक्त कर लें, यानी एक दम शिथिल छोड़ दें।
- अब आगे गहरा श्वास शरीर के अंदर लेना है, और साथ साथ अपनें दोनों पैरों को सामान्य गति से ऊपर आकाश की ओर उठाना है। (Note- याद रहे की दोनों घुटनें मोड़े “बिना” दोनों पैर हवा में उठाने हैं)।
How to Do Sarvangasana Yoga(Steps)
- पैरों को ऊपर उठाते समय अपनी कमर को भी धीरे धीरे ऊपर उठाना प्रारंभ कर दें। जब आप के पैर खड़ी सीधी रेखा अनुसार (आकाश की और 90 डिग्री) पर आ जाएं तब अपनी पीठ को थोड़ा और ऊपर उठाएँ।
- अब आगे आपको कमर और पीठ को ऊपर की ओर उठाने के लिए अपनें दोनों हाथों का सहारा लेना है। दोनों हाथों की कुंहनिया (Elbow) ज़मीन से लगा कर रखें और हथेलियों से अपनी कमर को support दें।
- सर्वांगासन करते वक्त अपने पैरों को, कमर को, और पीठ को इतना ऊपर ले जाए की ज़मीन पर आप का सिर, गर्दन का पिछला हिस्सा, कंधे, और कुंहनिया ही रहें। बाकी का सारा शरीर आकाश की और समकोण अवस्था में सीधा हो जाना चाहिए।
- पीठ को सहारा देते वक्त जब हथेलियों का उपयोग करें तब यह सुनिश्चित कर लें की दोनों हाथ के अंगूठे पेट की और होने चाहिए और दोनों हाथों की चार चार उँगलियाँ पीठ की और आमने-सामने होनी चाहिए। (Note- एक हाथ से पीठ के जिस हिस्से को पकड़ रखा हो, ठीक दूसरी तरफ भी उसी समान हिस्से की पकड़ के रखना होता है – दोनों हाथ ऊपर नीचे या आगे पीछे नहीं होने चाहिए।)।
- सर्वांग आसन करते वक्त ठुड्डी (mandible) को गले (कंठ) से लगा कर रखें। और अपनें मुख को आकाश की ओर या पैरों के अँगूठों की ओर रखें।
- अपनी क्षमता अनुसार इस स्थिति में थोड़ी देर तक बने रहें। उसके बाद धीरे धीरे अपने हाथों और कंधों के support को हटा ते हुए कमर को नीचे की ओर सामान्य अवस्था में लाना शुरू करें। कमर ज़मीन पर ले आने के बाद अपनें दोनों पैरों को धीरे धीरे ज़मीन की ओर ले जाएं।
- आसन शुरू किया था उस अवस्था में हाथों, पैरों, और गर्दन की स्थिति ला देने के बाद अब आप को शवासन में विश्राम करना है। (जितनी देर आप नें सर्वांग आसन किया हों, कम से कम उतनी देर तक शवासन में विश्राम करें)।
सर्वांगासन समय सीमा – Time Duration for Sarvangasana
सर्वांग आसन अपनी शक्ति अनुसार एक से पांच मिनट तक करें। इस आसन प्रक्रिया को दो से तीन बार दोहराएँ। (एक से पांच मिनट तक का शक्ति अनुसार एक सेट और कुल ऐसे दो से तीन सेट करें)।
सर्वांगासन के लाभ – Health Benefits Of Sarvanga Asana
योग में सर्वांगासन को सबसे बेहतर आसन बताया गया है| सर्वांग आसन के दौरान रक्त का प्रवाह मस्तिष्क (brain) की दिशा में होता है। इसलिए इसके फायदे अद्भुत है:
- सर्वांग आसन प्रतिदिन सुबह में करने से सभी तरह के मनोविकार दूर हो जाते हैं।
- मोटापे से त्रस्त व्यक्ति सर्वांग आसन कर के अपना अतिरिक्त वज़न कम(Weight Loss) कर सकता है।
- सर्वांग आसन करने से कब्ज़ की समस्या दूर होती है। तथा अन्य सभी प्रकार की पाचन समस्या दूर हो जाती हैं। इस आसन को करने से सिरदर्द की समस्या दूर होती है।
- सर्वांग आसन की सहायता से थाइरोइड ग्रंथि क्रियाशील बनती है, और गले से जुड़े अन्य रोगों को समाप्त करनें में मदद मिलती है।
- स्त्रियों में मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए सर्वांगासन परम लाभदायक है। इस आसन से गर्भाशय से जुड़ी तकलीफ़ें भी दूर हो जाती हैं।
- नित्य सुबह में सर्वांग आसन करने से हाथ, पीठ और कंधे शक्तिशाली बनते हैं। अगर किसी को पैरों में सूजन, या दर्द की समस्या रहती हों तो इस आसन को करने से दूर हो जाती हैं। और कमर के निचले भाग से जुड़ी समस्याएं भी दूर होती हैं।
- दमे के रोगी को सर्वांग आसन प्रति दिन करना चाहिए। उनके लिए यह आसन अत्यंत लाभकारक है।
- सर्वांग आसन करने से बुद्धि का विकास जल्दी होने लगता है। व्यक्ति की एकाग्रता शक्ति भी बढ़ जाती जाती है।
सर्वांगासन में क्या सावधानी बरतें – Precautions/Side-Effects of Sarvangasana Yoga
- गर्दन में दर्द की समस्या रहती हों, उनके लिए सर्वांगासन हानिकारक हो सकता है।
- उच्च रक्तचाप (Hypertension) की समस्या वाले व्यक्ति को सर्वांग आसन हानिकारक हो सकता है।
- हृदय रोग (Heart Disease) की समस्या वाले व्यक्ति को भी सर्वांग आसन नुकसानदेह हो सकता है।
- कमर दर्द की समस्या वाले व्यक्ति को भी सर्वांग आसन नहीं करना चाहिए।
- घेंघा रोग (Goiter Disease) के रोगी को भी यह आसन हानिकारक होता है।
- गर्भावस्था के दौरान सर्वांग आसन बिलकुल वर्जित है, इस समय यह आसन नहीं करना चाहिए।
सर्वांगासन में क्या सावधानी बरतें – Precautions/Side-Effects of Sarvangasana Yoga
- मासिक चक्र के दौरान भी महिलाओं को सर्वांग आसन नहीं करना चाहिए।
- जिन्हें चक्कर आने की समस्या रहती हों, उस व्यक्ति को भी सर्वांग आसन नहीं करना चाहिए।
- घुटनों को मौड़ कर सर्वांग आसन करने पर इस आसन का कोई लाभ नहीं होता है। यह आसन करते वक्त सिर को हवा में उठनें “नहीं” देना है।
- सर्वांग आसन हमेशा खाली पेट ही करना है। यह आसन सुबह में करने पर अधिक लाभ मिलता है।
- सर्वांग आसन सम्पूर्ण लाभ लेने के लिए इस आसन के बाद शवासन में विश्राम लेने के बाद, मत्स्यासन करना चाहिए।
- इस आसन को करने में शरीर की मर्यादा से बाहर जा कर अत्याधिक ज़ोर नहीं करना चाहिए।
- सर्वांग आसन की अवधि धीरे धीरे बढ़ाएँ। इस आसन को करते वक्त किसी भी प्रकार की समस्या के चिन्ह दिखें या महसूस हों, तो तुरंत रुक जाना चाहिए|