रथ यात्रा क्यों मनाया जाता है Rath Yatra 2020
Rath Yatra Celebration of Jagannath Ahmedabad Puri
रथ यात्रा भारत में मनाया जाने वाला बहुत ही प्रसिद्द त्यौहार या पर्व है. रथ यात्रा के विषय में लगभग सभी लोगों को पता भी हो लेकिन बहुत ही कम लोग होंगे जिन्हें ये पता है की आखिर रथ यात्रा क्यों मनाई जाती है? लेकिन बाकी पर्वों और रथ यात्रा में बहुत फर्क है, क्योंकि रथ यात्रा घरों अथवा मंदिरों में पूजा पाठ या व्रत करके मनाया जाने वाला पर्व नही है. इस पर्व को इकट्ठे होकर मनाया जाता है. इस पर्व में भगवान की यात्रा रथ पर निकलती है। इस पर्व को देश के हर हिस्से में मनाया जाता है rath yatra painting पर प्रमुख रूप से दो शहरों जगन्नाथपुरी और अहमदाबाद में रथ यात्राएं पर्व का विशेष पूजा और यात्रा निकली जाती है. rath yatra essay
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Rath Yatra at Puri Date 23 June 2020
Jagannath Rath Yatra 2020 Dates and Important Rituals वह इस साल 23 जून, गुरुवार से जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा शुरू कर रहे हैं। यह ओडिशा, भुवनेश्वर में सबसे महत्वपूर्ण और एक प्रमुख त्योहार है। रथ उत्सव के रूप में भी जाना जाता है, यह एक 15 दिवसीय लंबा त्योहार होता है, जो ओडिशा के मंदिर शहर पुरी में बहुत उत्साह और उत्साह के साथ मनाया जाता है। Rath Yatra of Jagannath Puri
Rath Yatra Route map Ahmedabad
Jagannath Puri Temple
भारत देश के उड़ीसा राज्य के तटवर्ती शहर जगन्नाथपुरी में भगवान जगन्नाथ का
भव्य मंदिर है इस शहर को मुख्यतः पुरी के नाम से जाना जाता है.
पुरी में हर वर्ष भगवान जगन्नाथ की विशाल रथ यात्रा निकाली जाती है. पुरी के जगन्नाथ rath yatra in odisha
मंदिर को भारत के चार धाम में से एक माना गया है.
हालांकि अहमदाबाद में भी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है, लेकिन पुरी की रथ यात्रा ज्यादा प्रसिद्ध है.
क्यूँ न आप लोगों को रथ यात्रा के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिसमें जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा क्या है, रथ यात्रा
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और इसे कैसे मनाया जाता है और इसमें शामिल कैसे हो. तो फिर start करते है
भगवान जगन्नाथ और अहमदाबाद की विशाल रथ यात्रा की विषय में. rath yatra png
रथ यात्रा क्या है – What is Jagannath Rath jatra at Puri (Odisha) Rath Yatra in Hindi
Rath Yatra Kyu Manaya Jata Hai Hindi
रथ यात्रा हिन्दुओ का एक पर्व है जिसे मुख्यतः हिन्दू धर्मावलंबियों के द्वारा हर वर्ष एक बार मनाया जाता है.
यह पर्व बाकी हिन्दू पर्वों से अलग माना जाता है क्योंकि बाकी हिन्दू पर्व मुख्यतः
अपने घरों अथवा मंदिरों में पूजन पाठन या व्रत रखकर मनाये जाते हैं.
लेकिन यह पर्व उन सबसे अलग है क्योंकि इस पर्व को सभी लोग इकट्ठे होकर मनाते है.
इस पर्व को पुरी शहर में रथ यात्रा निकालकर मनाया जाता है.
इस पर्व को 15 दिनों तक मनाया जाता है. rath yatra near me
जगन्नाथ पुरी शहर भारत के उड़ीसा राज्य में स्थित है जिसे विष्णु , नारायण, शंख क्षेत्र, श्रीक्षेत्र, पुरूषोत्तम पुरी इत्यादि नामों से भी जाना जाता है. इस शहर के लोग प्रमुख देवता भगवान जगन्नाथ को ही मानते हैं और पुरी को भगवान जगन्नाथ जी की मुख्य लीला भूमि माना जाता है. यहां का मुख्य पर्व भी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा है. रथ यात्रा पर्व बड़ी ही धूम धाम के साथ मनाया जाता है. रथ यात्रा के दर्शन लाभ के लिए देश विदेश से लाखों भक्त आते हैं. rath yatra live
रथ यात्रा कब मनाया जाता है? When Rath Yatra is celebrating?
रथ यात्रा हर वर्ष June महीने या आषाढ़ शुक्ल की द्वितीया को जगन्नाथपुरी में प्रारम्भ होती है.
यह पर्व रथयात्रा 10 दिनों की होती है. ऐसा मान्यता है कि भगवान विष्णु
जगन्नाथ आषाढ़ शुक्ल की द्वितीया से दशमी तक पुरे १० दिन लोगों के बीच रहते हैं.
रथ यात्रा का उत्सव सैंकड़ों वर्षों से लगातार मनाया जाने वाला पर्व है.
हर वर्ष रथ यात्रा में शामिल होने के लिए लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं.
रथ यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है. what is rath yatra festival
भगवान जगन्नाथ जी को भगवान श्रीकृष्ण और राधा की युगल मूर्ति का रूप माना जाता है. रथ यात्रा की तैयारी हर वर्ष बसंत पंचमी से ही शुरू कर दी जाती है. भगवान जगन्नाथ जी की रथ के विषय में एक रोचक तबत ये है की: रथ के लिए नीम के चुनिंदा पेड़ की लकड़ियों से रथ तैयार किया जाता है. रथ की लकड़ी के लिए अच्छे और शुभ पेड़ की पहचान की जाती है जिसमे कील आदि न ठुके हों और रथ के निर्माण में किसी प्रकार की धातु का उपयोग नहीं किया जाता है.
रथ यात्रा क्यों मनाया जाता है? Why We Are Celebrating Rath Yatra ?
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का पर्व हर वर्ष June महीने या आषाढ़
शुक्ल की द्वितीया को जगन्नाथपुरी में प्रारम्भ होता है. इस पर्व को मनाने के पीछे मान्यताएं है.
जिसमें से सर्वप्रचिलित मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा
नें भगवान जगन्नाथ जी से द्वारका दर्शन करने की इच्छा जाहिर की
जिसके फलस्वरूप भगवान ने सुभद्रा को रथ से भ्रमण करवाया
तब से हर वर्ष इसी दिन जगन्नाथ यात्रा निकाली जाती है.
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भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के लिए तीन रथ तैयार किये जाते हैं. यात्रा में सबसे आगे श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का रथ रहता है जिसमें 14 पहिये रहते हैं और
इसे “तालध्वज” कहते हैं,
दूसरा रथ 16 पहिये वाला श्रीकृष्ण का रहता है
जिसे “नंदीघोष” या “गरूणध्वज” नाम से जाना जाता है तीसरा रथ श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा का रहता है जिसमें 12 पहिये रहते हैं और
इसे “दर्पदलन” या “पद्मरथ” कहा जाता है.
तीनों रथों को उनके रंग और लंबाई से पहचाना जाता है.
रथ यात्रा की कहानी Story of Rath Yatra.
रथ यात्रा के पीछे एक पुरानी कहानी प्रचिलित है की ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ का जन्म हुआ था. उस दिन भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा को रत्नसिंहासन से उतार कर भगवान जगन्नाथ के मंदिर के पास बने स्नान मंडप में ले जाया जाता है. फिर 108 कलशों से उनका शाही स्नान होता है जिससे भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं और उन्हें बुखार आ जाता है. इसके बाद भगवान जगन्नाथ को एक विशेष स्थान में रखा जाता है जिसे “ओसर घर “कहते हैं. और भगवान जगन्नाथ को विशेष काढ़ा जो की परवल का बना होता है
15 दिन बाद भगवान जगन्नाथ स्वस्थ होकर घर से निकलते हैं
और भक्तों को दर्शन देते हैं. इसे नवयौवन नेत्र उत्सव भी कहते हैं.
इसके बाद आषाढ़ शुक्ल की द्वितीया को भगवान जगन्नाथ,
उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथ में सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं.
रथ यात्रा कैसे मनाया जाता है? How to celebrate Rath Yatra?
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के लिए तीन रथ तैयार किये जाते हैं.
जब तीनों रथ तैयार हो जाते हैं तब ‘छर पहनरा’ अनुष्ठान किया जाता है.
इन तीनों रथों की पूजा करके सोने की झाड़ू से रथ और रास्ते को साफ किया जाता है.
आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को रथ यात्रा का आरंभ होता है.
ढोल नगाड़ों के साथ ये यात्रा निकाली जाती है और भक्तगण रथ को खींचकर पुन्य लाभ अर्जित करते हैं.
रथ यात्रा जगन्नाथ मंदिर से शुरू होती है और पुरी शहर से होते हुए
नगर भ्रमण कर गुंडीचा मंदिर पहुंचती है. 10वे दिन रथ पुनः मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं. 11वे दिन मंदिर के द्वार खोले जाते हैं. इस दिन भक्तगण स्नान कर भगवान के दर्शन करते हैं.
रथ यात्रा का क्या महत्व है। what is the Significant of Rath Yatra?
Rath Yatra History
पुरी स्थित वर्तमान मंदिर 800 वर्षों से भी पुराना है जिसे चार पवित्र धामों में से एक माना गया है. कहा जाता है कि जिन भक्तों को रथ यात्रा का रथ खींचने का सौभाग्य मिलता है वो
बहुत भाग्यवान माने जाते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार रथ खींचने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
ऐंसी मान्यता है कि इस दिन भगवान स्वयं नगर भ्रमण कर लोगों के बीच आते हैं
और उनके सुख दुख में सहभागी बनते हैं.
ऐंसा भी माना जाता है कि जो भक्त रथयात्रा में भगवान के दर्शन करते हुए एवं प्रणाम करते हुए .
रास्ते की धूल कीचड़ आदि में लोट लोट कर जाते हैं
उन्हें श्री विष्णु के उत्तम धाम की प्राप्ति होती है.
सबसे खास बात यह है कि रथ यात्रा के दिन कोई
भी मंदिर एवं घर में पूजा न कर सामूहिक रूप से इस पर्व को सम्पन्न करते हैं
और इसमें किसी प्रकार का भेदभाव नहीं देखा जाता है.
पूरी कैसे पहुंचे? How To Reach Puri?
पुरी का निकटतम हवाई अड्डा भुवनेश्वर का बीजू पटनायक हवाई अड्डा है, जो लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है।
दैनिक उड़ानें इस हवाई अड्डे को दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और विशाखापत्तनम जैसे प्रमुख भारतीय शहरों से जोड़ती हैं।
पुरी रेलवे स्टेशन पुरी शहर से उपलब्ध है।
Nearest airport to Puri is Bhubaneshwar’s Biju Patnaik airport, at a distance of nearly 60 kilometres.
होटल in पूरी Hotel In Puri
रथ यात्रा क्यों मनाते है?
मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख रथ यात्रा क्यों मनाया जाता है जरुर पसंद आई होगी.
मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को रथ यात्रा क्या होता है के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये
जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है.
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