उद्गीत प्राणायाम – Udgeeth Pranayama Breathing Technique

उद्गीत प्राणायाम – Udgeeth Pranayama Breathing Technique

उद्गीत प्राणायाम को “ओमकारी जप” भी कहा जाता है। यह एक अति सरल प्राणायाम और एक प्रकार का मैडिटेशन (Meditation) अभ्यास है। उद्गीत प्राणायाम प्रति दिन सुबह में करने से व्यक्ति को कई शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। उद्गीत प्राणायाम चिंता, ग्लानि, द्वेष, दुख, और भय से मुक्ति दिलाता है। इस प्राणायाम के अभ्यास से ध्यान-शक्ति बढ़ जाती है। व्यक्ति भयमुक्त हो जाता है और आत्मविश्वास बढ़ जाता है। शरीर में रक्त संचार प्रक्रिया ठीक से होने लगती है, जिस कारण व्यक्ति के मुख पर एक दिव्य तेजस्वी आभा निखर आती है।

उद्गीत प्राणायाम के लिए शिव संकल्प – Nobel Resolution  of Udgeeth Pranayama

ओउम का ध्यान कर के प्रकृति के हर एक कण में “ॐ कार” का दर्शन करना है। सर्व प्रकार की दैहिक परेशानीयों और बीमारियों से मुक्त होने का अभ्यास कर के अपनी चेतना को विश्वात्मा से जोड़े। अपने आप को जानें और स्वयं में विद्यमान उस “अलौकिक शक्ति” को पहचाने। अपनीं आत्मा और परमात्मा के साक्षात्कार करने का निश्चय कर के, उद्गीत प्राणायाम शुरू करें।

उद्गीत प्राणायाम कैसे करें  – How to Do Udgeeth Pranayama

  1. सर्वप्रथम किसी शुद्ध वातावरण वाली, स्वच्छ जगह पर आसन बिछा कर पद्मासन अथवा सुखासन में बैठ जाएं। उद्गीत प्राणायाम शुरू करने से पूर्व अगर दूसरे प्राणायाम किए हों तो उसकी थकान मिटा कर सांस सामान्य कर के ही यह अभ्यास शुरू करें।
  2. उद्गीत प्राणायाम अभ्यास के लिए आसन जमा लेने के बाद सामान्य गति से सांस शरीर के अंदर लेना होता है। और उसके बाद ओमकारी जप के साथ सांस बाहर छोड़ना होता है।
  3. यह ध्यान में रखें कि इस अभ्यास में लंबी सांस अंदर लेनी है, सामान्य गति से सांस लेनी है और जब सांस बाहर निकालें तब ओमकार(ओउम) जप के साथ उसी सामान्य गति से सांस बाहर निकालनी है।
  4. उद्गीत प्राणायाम करते वक्त अग्निचक्र पर ध्यान केन्द्रित करना होता है। और साथ में यह भी ध्यान में रखिए की सांस बाहर निकलते वक्त ओमकार जप में “O” जितनी देर तक बोले, उस से अधिक तीन गुना “M” इस तरह अपनी शक्ति अनुसार जितना लंबा हो सके उतना लंबा जप करना होता है।

Duration ofउद्गीत प्राणायाम समय सीमा  – Time Duration of Udgeeth Pranayama

  • Time Duration of उद्गीत प्राणायाम में सांस शरीर के अंदर लेने का समय तीन से पांच सेकंड का रखें।
  • ओमकारी जप के साथ जब सांस बाहर छोड़ें तब उसका समय पंद्रह से बीस सेकंड तक, अपनी शक्ति अनुसार खींचने की कोशिश करें। (Note- अपनें शरीर की मर्यादा में रह कर ही बल लगाए)।
  • एक सामान्य व्यक्ति उद्गीत प्राणायाम अभ्यास को प्रति दिन सात बार तक कर सकता है। सात बार उद्गीत प्राणायाम करने के लिए तीन-चार मिनट का समय लगेगा।
  • प्राणायाम के हर एक प्रकार में सांस लेने और सांस बाहर छोड़ने की गति का बड़ा महत्व है। उद्गीत प्राणायाम में ना ही तो अति तीव्र गति से सांस लेनी है, नाही तो अति धीमी गति से सांस लेनी है, इस प्राणायाम में अपने आसपास सकारात्मक ऊर्जा महसूस करते हुए सामान्य गति से सांस अंदर लेनी है।
  • अभ्यास बढ़ जाने पर इस प्राणयाम को 10 से 20 बार यानि कि पाँच से दस मिनट तक किया जा सकता है। विकट रोगों से ग्रस्त व्यक्ति उद्गीत प्राणायाम को 10 मिनट से अधिक भी कर सकते हैं।

उद्गीत प्राणायाम के फायदे – Benefits of Udgeeth Pranayama

  • सकारात्मकता बढ़ती है और वातावरण खुशनुमा हो जाता है|
  • स्मरण शक्ति (Memory Power) बढ़ाने के लिए उद्गीत प्राणायाम एक उत्तम अभ्यास है। गुस्से (Anger) को काबू करने के लिए भी यह प्राणायाम उपयोगी है। उद्गीत प्राणायाम से एकाग्रता (Concentration) और संकल्प शक्ति बढ़ती है।
  • मानसिक तनाव, व्याधि, चिंता, और भय लगने जैसी सारी समस्याएं उद्गीत प्राणायाम अभ्यास करने से दूर हो जाती है। नींद ना आना, नींद कम आना, अचानक नींद भंग होना, नींद में भयानक स्वप्न आना आदि परेशानियाँ दूर करने के लिए भी उद्गीत प्राणायाम का अभ्यास उत्तम है।
  • उद्गीत प्राणायाम हर आयु के व्यक्ति को करना लाभदायी है। जब भी मन में तनाव और परेशानी महसूस हों तब इस लाभदायी प्राणायाम का अभ्यास कर के मन शांत किया जा सकता है।
  • गैस, acidity और अन्य पेट के रोग उद्गीत प्राणायाम से दूर हो जाते है।

उद्गीत प्राणायाम में सावधानी  – Precautions / Side for  Udgeeth Pranayama

  1. उद्गीत प्राणायाम में सांस शरीर के अंदर लेने और बाहर लेने की अवधि लंबी होनी चाहिए।
  2. किसी भी रोगी व्यक्ति को उद्गीत प्राणायाम अभ्यास हमेशा योगा विशेषज्ञ की देख रेख में ही करना चाहिए। (डॉक्टर की सलाह के बाद)।
  3. उद्गीत प्राणायाम और भोजन के समय के बीच में कम से कम तीन से पाँच घंटे का अंतर रखना चाहिए। तथा हो सके तो उद्गीत प्राणायाम अभ्यास सुबह में और खाली पेट करना चाहिए।
  4. गर्भवती महिलाएं, दमे के रोगी और हृदय रोग से ग्रस्त व्यक्ति उद्गीत प्राणायाम डॉक्टर की सलाह के बाद ही करें।
  5. शोर-शराबे वाली जगह पर उद्गीत प्राणायाम नहीं करना चाहिए| जब किसी और विषय के बारे में सोच रहे हों तब भी उद्गीत प्राणायाम लाभदायी नहीं होता है।
  6. इस प्राणयाम को दिनचर्या का एक काम समझ कर हड़बड़ी में जल्दी जल्दी खत्म करने पर भी कोई फायदा नहीं । “ॐ कार” की शक्ति पर शंका करने से भी उद्गीत प्राणायाम का फल प्राप्त नहीं होता है।