उष्ट्रासन की सम्पूर्ण जानकारी – Ustrasana (The Camel Pose) : Steps and Benefits
हमारे शरीर को मानसिक एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाए रखने के लिए उष्ट्रासन एक उपयोगी
आसान है। इस आसान को उष्ट्रासन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस आसन में शरीर को ऊंट की
तरह आकार दिया जाता है। “उष्ट्र” एक संस्कृत भाषा का शब्द है और इसका अर्थ “ऊंट” होता है।
उष्ट्रासन को अंग्रेजी में “Camel Pose” कहा जाता है। इस आसन का अभ्यास करने में शुरुआत
में थोड़ी कठिनाई ज़रूर होगी परंतु, अभ्यास बढ़ जाने के बाद यह आसन बड़ी सरलता से किया जा
सकता है।
Ustrasana (The Camel Pose)
उष्ट्रासन करने से शरीर को अनेक लाभ होते हैं जैसे की कमर दर्द, साइटिका, स्लिप डिस्क,
महिलाओं की मासिक चक्र से जुड़ी बीमारीयां आदि।इस आसन को नित्य सुबह करने से व्यक्ति के
चहरे पर अलग ही तेज निखर आता है। उष्ट्रासन करने से शरीर में रक्त-प्रवाह बेहतर हो जाता है।
सर्वांग-आसन करने के बाद उष्ट्रासन करना अधिक लाभदायक होता है।
उष्ट्रासन कैसे करें (विधि) – How To Do Ustrasana (Steps)
1.उष्ट्रासन करने के लिए सर्वप्रथम स्वच्छ निर्मल और समथल स्थान देख लीजिये| उसके पश्चात एक
सादा आसन या चटाई बिछा लीजिये। (अगर यह आसन सुबह के समय खुली हवादार जगह में
किया जाए तो अधिक लाभदायक होता है। उष्ट्रासन हमेशा खाली पेट ही करना चाहिए)।
अब दोनों पैर सामनें की और फैला कर बैठ जाएं। अब अपनें दाएं पैर को घुटनें से मौड़ कर दाएं
2.कूल्हे के नीचे लगा लें। और बायें पैर को घुटनें से मौड़ कर बाएं कूल्हे के नीचे लगा लें। (यह मुद्रा
ठीक वैसी ही होनी चाहिए जैसे की वज्रासन मैं होती है)।
3.आगे अब धीरे-धीरे घुटनों के बल ऊपर उठना होता है। कमर सीधी होने तक उठ जाना होता है।
(Note- ध्यान रहे की आप के दोनों घुटनें और पैरों के दोनों पंजों का ऊपरी भाग ज़मीन से सटा
रहना चाहिए)।
अब आगे, अपनें दाएं हाथ से दाएं पैर की एडी पकड़ लें, और बाएं हाथ से बाएं पैर की एडी पकड़ लें। और अपनें सिर को हो सके उतना पीछे ली और ले जानें का प्रयास करें,
4.अब सामान्य गति से गहरी साँस शरीर के अंदर लें। और जितनी देर सांस रोक सकें तब तक
उष्ट्रासन में बनें रहें। (Note- अगर आप उष्ट्रासन में बनें रहे कर ही सांस लेना और छोड़ना चाहते हैं
तो उसी मुद्रा में रह कर सामान्य गति से गहरी सांसे अंदर लें और बाहर छोड़ें।
5. उष्ट्रासन की इस मुद्रा में थोड़ी देर (30 सेकंड से 1 मिनट) तक बनें रहें, उसके बाद दोनों पैरों की
एड़ियों को बारी बारी छौड़ कर शरीर को सीधा कर लें तथा घुटनों के बल ही वज्रासन पर बैठ जाएं।
(इस आसन को तीन बार करना हों तो वज्रासन में ही बैठे रहें और अगला सेट शुरू कर दें)।
6. उष्ट्रासन करने के बाद कुछ देर वज्रासन में बैठने के बाद थकान दूर करने के लिए शवासन
करना आरामदायक होता है।
उष्ट्रासन की समय सीमा – Time Duration Of Ustrasana
उष्ट्रासन में उतनी देर तक बनें रहें जितनी देर तक आप शरीर के अंदर भरी हुई सांस रोक सकें।
कुछ समय अभ्यास बढ़ जाने पर अगर आप उष्ट्रासन में रह कर ही सांस लेने और छोड़नें की क्रिया
करना चाहें तो उष्ट्रासन की मुद्रा में आप तीस सेकंड से एक मिनट तक रह सकते हैं। उसके बाद
अपनें शरीर को सीधा कर के अपनें पैरों पर बैठ जाए। (वज्रासन मुद्रा में)। थोड़ी देर सांस ले लेने के
बाद फिर से इस आसन प्रयोग को दोहरइए। इस तरह उष्ट्रासन को थोड़े थोड़े अंतर पर थकान दूर
करते हुए तीन बार करना चाहिए (तीस सेकंड से एक मिनट तक के कुल तीन सेट)।
Benefits Of उष्ट्रासन के फायदे – Benefits Of Ustrasana
- उष्ट्रा करने से सीने का भार कम होता है। तथा कमर और गर्दन से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं।
- पेट साफ रहता है। पाचन शक्ति बढ़ जाती है। और शरीर के होर्मोन्स नियंत्रित होते हैं।
- उष्ट्रासन करने से शरीर लचीला बनता है। तथा शरीर के स्नायुओं को व्यायाम मिलता है।
- चेहरे की सुंदरता बढ़ाने के लिए भी यह आसन गुणकारी होता है।
- यह आसन lower back pain और पीठ के दर्द को दूर करने में सहायक होता है। और कमर के निचले हिस्से को इस आसन से आराम पहुचता है।
- स्लिपडिस्क और सायटिका जैसी कष्टदायक तकलीफ़ें उष्ट्रासन करने से दूर हो जाती हैं।
- उष्ट्रासन करने से… पूरी तरह से कमर बैंड कर के किए जाने वाले अन्य कठिन आसनों के लिए प्राथमिक अभ्यास मिलता है।
- रीड़ की हड्डी सीधी होती है तथा लचीली बनती है।
- फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है। तथा फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं।
- गले और उदर के अंदरूनी अंग का विकास होता है। गर्दन, छाती, और उदर को अधिक व्यायाम मिलने की वजह से इन अंगों की कार्यक्षमता बढ़ जाती है तथा इनमे रोग भी नहीं होते हैं।
- कंधे, टखनें, घुटनें, ग्रौइन (पेट और जांघों के बीछ का भाग) और पूरे शरीर का आगे का भाग मजबूत होता है।
- नित्य प्रयोग से सिकुड़ी हुई छाती वाले व्यक्ति की छाती तंदूरस्त और फैली हुई बनती है। तथा इस आसन को करने से रोग प्रतिकारक शक्ति भी बढ़ जाती है।
उष्ट्रासन में परहेज़ / सावधानी – Precaution / Side Effects Of Ustrasana
- High Blood pressure या Low Blood Pressure की समस्या वाले व्यक्ति को यह आसन नहीं करना चाहिए।
- हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति को भी उष्ट्रासन नहीं करना चाहिए। अर्धशीशी (Migraine) रोग के दर्दी को भी यह आसन हानी कारक हो सकता है।
- कमर का तेज़ दर्द रहता हों, ऐसे व्यक्ति को डॉक्टर की सलाह के बाद ही उष्ट्रासन करना चाहिए।
- उष्ट्रासन करते वक्त गर्दन को अधिक ज़ोर दे कर पीछे ना खींचे। यह आसन करते वक्त कमर में दर्द या किसी अन्य अंग में दर्द होने लगे तो फौरन इस आसन को रोक कर डॉक्टर के पास जाए।
- गर्दन पर अधिक भार पड़ने से दिमाग को खून और प्राणवायु (oxygen) पहुचने वाली नसों को नुकसान हो सकता है, इसलिए इस पॉइंट को ठीक से ध्यान में रखें।
- शरीर पर किसी प्रकार की शल्यक्रिया कराई हों उन्हे यह आसन नहीं करना चाहिए। गर्भवती महिला को भी यह आसन नहीं करना चाहिए।
- दूसरे अन्य आसनों की तुलना में यह एक कठिन आसन है और किसी नए सिखिये व्यक्ति के लिए, पूरी जानकारी बिना इसका प्रयोग नुकसान देह हो सकता है, इसलिए यह आसन किसी योगा टीचर की निगरानी में ठीक से सीख लेने के बाद ही करना चाहिए।
- याद रहे की उष्ट्रासन करते वक्त मुह बिलकुल बंद रखना है और नाक से ही सांस अंदर लेनी है तथा बाहर छोडनी है।
- उष्ट्रासन करने के बाद हृदय गति सामन्य से थोड़ी अधिक बढ़ जाती है, इसलिए यह आसन करते वक्त सामन्य गति से गहरी साँस लेनी चाहिए।