बाह्य प्राणायाम को अंग्रेजी में External Retention कहा जाता है। समस्त उदर रोगों के उपचार के लिए बाह्य प्राणायाम(Bahya Kumbhaka) एक अत्यंत लाभदायी प्राणायाम अभ्यास है। जब व्यक्ति कपालभाति करता है, तब उसकी मूलाधार चक्र की शक्ति जागृत होती है और उस जागृत हुई अमूल्य शक्ति का उर्धारोहण (उर्ध + आरोहण) करने के लिए “बाह्य प्राणायाम” किया जाता है।
योग या प्राणायाम में तीन मुख्य क्रियाएँ होती है – पूरक, रेचक और कुम्भक| श्वास को अंदर भरने की क्रिया को “पूरक” तथा श्वास को बाहर छोड़ना रेचक कहलाता है।
शरीर के अंदर भरी हुई श्वास को अंदर ही रोक देने की क्रिया को “आतंरिक कुंभक” कहते हैं और शरीर के बाहर का श्वास बाहर ही रोक देना “बाह्य कुभक” कहा जाता है। बाह्य प्राणायाम में बाह्य कुम्भक लगाया जाता है|
बाह्य प्राणायाम कैसे करें – How to Do Bahya Pranayama/Kumbhaka – Steps
- बाह्य प्राणायाम अभ्यास करने से पहले पेट साफ कर लेना चाहिए। और सुबह में बिना कुछ खाये-पिये यह प्राणायाम करना चाहिए।
- सर्वप्रथम स्वच्छ वातावरण वाली जगह का चयन करके आसन बिछा लें। और फिर पद्मासन में या सुखासन में बैठ जाए। अगर बाह्य प्राणायाम से पूर्व दूसरा कोई और प्राणायाम किया है, तो सब से पहले सांस सामान्य कर लें। (थकान दूर कर लें)।
- अब अपने शरीर को सीधा रख कर सांस शरीर से पूरी तरह से बाहर निकाल दे| अब सांस को बाहर रोक कर ही…. इसमे तीन तरह के बंध लगेंगे ……जालंधर बंध (Chin Lock), उड़िययान बंध (Abdominal Lock) और मूल बंध (Root Lock)।
- जालंधर बन्ध (Jalandhara Bandha): सिर झुकाकर ठोडी (Chin) को छाती से सटा दें
उड़ड्यान बन्ध (Uddiyana Bandha): पेट को पूरी तरह अन्दर पीठ की तरफ खीचना है।
मूल बन्ध (Mula Bandha): मूल बंध (Root Lock) लगाने के लिए नाभि से नीचे वाले भाग को खींच कर रखना होता है।
- तीनों तरह के बंध लगाने के बाद श्वास को यथाशक्ति बाहर ही रोककर रखें।(सांस को बाहर उतनी देर तक रोक कर रखें जितनी देर तक आप रोक कर रख सकें)
- जब श्वास लेने की इच्छा हो तब तीनों बन्धो को हटाते हुए धीरे-धीरे श्वास लीजिए।
- अब यही प्रक्रिया फिर से दोहरानी होती है: A- श्वास भीतर लेकर उसे बिना रोके ही पुनः पूर्ववत् श्वसन क्रिया द्वारा बाहर निकाल दीजिये। B- बारी बारी से तीनों बंध को लगाना है। C-शक्ति अनुसार सांस बाहर रोक लेने के बाद श्वास अंदर लेना है।
बाह्य प्राणायाम के लिए शिव संकल्प: Positive Resolution for Bahya Kumbhaka
इस प्राणायाम में श्वास को बाहर फेंकते हुए यह संकल्प लिया जाता है कि मेरे समस्त विकारों, दोषों को भी बाहर फेंका जा रहा है| इस प्रकार की मानसिक चिन्तन धारा बहनी चाहिए। विचार-शक्ति जितनी अधिक प्रबल होगी समस्त कष्ट उतनी ही प्रबलता से दूर होंगे।
बाह्य प्राणायाम समय सीमा – Bahya Pranayama Time Duration
एक सामान्य व्यक्ति को बाह्य प्राणायाम शुरुआत में तीन से पांच बार करना चाहिए। कुछ समय तक निरंतर अभ्यास करते रहने के बाद इसे ग्यारह बार भी किया जा सकता है। सर्दियों के मौसम में बाह्य प्राणायाम इक्कीस बार तक भी किया जा सकता है।
बाह्य प्राणायाम के लाभ या फायदे – Benefits Of Bahya Pranayama
- बाह्य प्राणायाम रोज़ करने से मूत्रमार्ग से संबन्धित सारे रोग समाप्त हो जाते हैं।
- हर्निया (Hernia) के रोगी को यह प्राणायाम अत्यंत लाभदायी होता है। (बाह्य प्राणायाम अभ्यास शुरू करने से पूर्व एक बार डॉक्टर की सलाह अवश्य लें)।
- पौरुष ग्रंथि (Prostate) की समस्या दूर कर नें के लिए बाह्य प्राणायाम एक अति महत्वपूर्ण और उपयोगी प्राणायाम अभ्यास है।
- बाह्य प्राणायाम से पाचन प्रणाली(Digestive System) मज़बूत होती है। कब्ज़ और गैस(Acidity) की तकलीफ दूर हो जाती है।
- मधुमेह (Blood Sugar) के रोगी को बाह्य प्राणायाम से अद्भुत लाभ होता है।
- एकाग्रता(Concentration) शक्ति बढ़ाने में बाह्य प्राणायाम मददगार होता है।
- बाह्य प्राणायाम से पेट के अंदरूनी अंगों से जुड़ी समस्याएं जड़ से समाप्त हो जाती है।
बाह्य प्राणायाम करने से पहले सावधानी – Precautions/Side Effects for Bahya Pranayama
- हृदय रोगी बाह्य प्राणायाम का अभ्यास ना करें।
- उच्च रक्तचाप के रोगी भी बाह्य प्राणायाम का अभ्यास ना करें।
- अगर किसी व्यक्ति का ब्लड प्रेशर दवा लेने से नॉर्मल रह रहा हो, तो वह व्यक्ति डॉक्टर की सलाह के बाद दस से बारह सेकंड तक बाह्य प्राणायाम कर सकता है।
- बाह्य प्राणायाम हमेशा खाली पेट ही करना चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं को बाह्य प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए। (डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही करें)
- मासिक चक्र (period time) के दौरान महिलाओं को बाह्य प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
- बाह्य प्राणायाम अभ्यास करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें की आप कम से कम 10 से 12 सेकंड तक सांस रोक सकते हैं की नहीं। चूँकि सांस बाहर निकाल कर रोक रखने के बाद तीनों बंध लगाने के लिए 10 से 12 सेकंड का समय लगता है। सहनशक्ति से अधिक देर तक सांस को शरीर से बाहर रोके रखना नुकसान देह होता है, इसलिए अपनी शरीर शक्ति की मर्यादा अनुसार ही सांस रोकनें में बल लगाएं।
- प्राणायाम की पूरी प्रक्रिया को जाने बिना कोई भी प्रणायाम घातक हो सकता है|