हमारी पृथ्वी – पृथ्वी गोल है
आमतौर पर पाठ्यपुस्तकों में पृथ्वी के गोल होने के सबूत के तौर पर जो बातें लिखी होती हैं वे नीचे दी गई हैं: –
यह बताया जाता है कि अंतरिक्ष से पृथ्वी गोल दिखाई देती है। अंतरिक्ष यात्रियों ने पृथ्वी के चित्र भी
अंतरिक्ष से लिये हैं, जिनमें पृथ्वी गोल दिखती है। यह चित्र भी पुस्तकों में छापे जाते हैं।
हमारी पृथ्वी गोल है
यह कहा जाता है कि यदि आप समुद्र के किनारे जाकर दूर से आने वाले पानी के जहाजों को देखें
तो आपको सबसे पहले जहाज का मस्तूल नज़र आयेगा, और फिर धीरे-धीरे पूरा जहाज पानी के ऊपर उठता हुआ दिखेगा।
कई बार यह भी बताया जाता है कि अन्य सभी ग्रह जिन्हें हम देख सकते हैं वे सभी गोल हैं अत:
पृथ्वी भी स्वाभाविक रूप से गोल ही है।
उत्तरी तथा दक्षिणी गोलार्ध में अलग-अलग तारामंडल दिखाई देते हैं।
यद्यपि यह सभी सभी तर्क अपने स्थान पर सही हैं, फिर भी इन्हें बच्चे स्वयं करके नहीं देख सकते।
यह सही है कि प्रयोगात्मक रूप से पृथ्वी, को गोल सिध्द करना काफी कठिन है। फिर भी कुछ
प्रयोग तो अवश्य किये जा सकते हैं। ऐसे कुछ प्रयोग नीचे दिये जा रहे हैं:-
चंद्रग्रहण का अवलोकन
चंद्रग्रहण के समय पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। यह छाया गोल होती है। इसके अवलोकन से
यह साफ पता लगता है कि पृथ्वी गोल है।
शिक्षक पहले ब्लैकबोर्ड पर चित्र बनाकर समझायें कि चंद्रग्रहण पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ने के कारण होता है।
फिर कक्षा में अंधेरा करके एक टार्च, एक ग्लोब और एक छोटी गेंद की सहायता से चंद्रग्रहण का
छोटा सा प्रयोग करके दिखायें और बच्चों को इस रुचिकर खेल में शामिल करें।
चंद्रग्रहण पूर्णिमा की रात को होते हैं। यदि संभव हो तो किसी रात को बच्चों को स्कूल में बुलाकर
वास्तविक चंद्रग्रहण भी दिखाया जा सकता है, और यह समझाया जा सकता है कि चंद्रमा पर पृथ्वी
की गोल छाया पड़ रही है।
ऊंचाई से देखना
हमें बच्चों को किसी ऐसे स्थान पर लेकर जाना होगा जहां बिना किसी बाधा के दूर तक देखा जा
सके। ऐसे स्थान पर ले जाकर पहले जमीन पर खड़े होकर क्षितिज को देखें और फिर किसी पेड़ पर
या ऊंचे भवन पर चढ़कर क्षितिज को देखें। ऊंचाई से अधिक दूरी तक देखा जा सकता है। यह
सिध्द करता है कि धरती गोल है।
एक ही समय में दो सूर्यास्त दिखायें
यदि सूर्यास्त के समय किसी ऐसे स्थान पर बच्चों को ले जायें जहां दूर तक देखने में कोई बाधा न हो
तो आसमान साफ होने पर सूर्यास्त के समय सूर्य क्षितिज के नीचे जाता हुआ देखा जा सकता है।
पहले बच्चों से कहें कि वे लेटकर सूर्यास्त देखें। लेटकर देखने पर जब सूर्य पूरी तरह क्षितिज के नीचे
चला जाये तो बच्चों को खड़ा होकर सूर्य की ओर देखने को कहें। उन्हें सूर्य फिर से क्षितिज के
ऊपर नज़र आयेगा और वे दोबारा सूर्यास्त देख सकेंगे। इसे और अच्छी तरह दिखाने के लिये दूसरी
बार का सूर्यास्त किसी पेड़ अथवा भवन की छत से भी दिखाया जा सकता है। अब उन्हें ब्लैक बोर्ड
पर चित्र की सहायता से समझायें कि ऐसा धरती के गोल होने के कारण होता है।
इरेस्टोथस्थिनीज़ का प्रयोग –
यदि धरती चपटी होती तो धरती पर एक समान ऊंचाई की वस्तुओं की छाया एक ही समय में
हमेशा एक बराबर होती, चाहे वे वस्तुएं धरती पर किसी भी स्थान पर क्यों न हों। परंतु ऐसा नहीं
होता है। अलग-अलग स्थान पर एक ही ऊंचाई की वस्तुओं की छाया की लंबाई अलग-अलग होती
है। इसे सबसे पहले मिस्र के वैज्ञानिक इरेस्टोथस्थिनीज़ ने खोजा था। इरेस्टोस्थिनीज़ एलेक्ज़ेन्ड्रिया में
रहता था। उसे पता लगा कि हर 21 जून को साइन मे इमारतों की छाया नहीं पड़ती। परंतु उसने
देखा कि एलेक्ज़ेन्ड्रिया में इस दिन भी सभी इमारतों की छाया बनती थी। इस बात से उसने यह
निश्कर्ष निकाला कि धरती के गोल होने के कारण इन दोनो शहरों में इमारतों पर सूर्य की किरणें
अलग-अलग कोण से गिरती हैं, इसलिये छाया में अंतर आता है। इतना ही नहीं उसने छाया की
लंबाई तथा एलेक्ज़ेन्ड्रिया एवं साइन की दूरी मापकर धरती की परिधि भी निकाल ली।
हमारी पृथ्वी – पृथ्वी गोल है
इस प्रयोग को करने के लिये हमें किसी ऐसे स्कूल के साथ समन्वय करना होगा जिसकी दूरी हमारे
स्कूल से कम से कम 200 किलोमीटर हो। फिर हम और उस स्कूल के शिक्षक तथा बच्चे एक ही
ऊंचाई का एक डंडा स्कूल के प्रांगण में गाड़ेंगे और उसकी छाया का माप लेंगे और लिया गया माप
मोबाइल फोन के माध्यम से एक दूसरे को बतायेंगे। इस प्रकार हम प्रयोग करके देख सकेंगे कि
अलग-अलग स्थान पर एक ही ऊंचाई के डंडे की छाया एक ही समय में अलग-अलग लंबाई की
होती है। इस संबंध में विश्व के स्कूेलों में समन्वय करके एक प्रोजेक्ट भी चलाया जा रहा है। आप
इंटरनेट इस वेबसाइट पर जाकर इस प्रोजेक्ट में शामिल हो सकते हैं। अब आप यह प्रयोग एक
संतरे पर दो पिन लगाकर और उसे किसी अंधेरे कमरे में ले जाकर टार्च के प्रकाश से कर सकते हैं
और बच्चों को दिखा सकते हैं कि संतरा गोल होने के कारण उसपर लगी पिनों की छाया की लंबाई
अलग-अलग माप की है।